भारत और म्यामा के संबंध होंगे बेहतर

भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की म्यांमार की चार दिवसीय यात्रा सम्पन्न हुई। यह यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि म्यांमार, भारत के निकटतम पड़ोसियों में से एक है। इसके अलावा दोनों देशों के करीबी द्विपक्षीय संबंध मायने रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में म्यांमार की ऐतिहासिक यात्रा की थी उसके बाद भारतीय राष्ट्रपति की यात्रा से संबंधों में और प्रगाढ़ता आने की उम्मीद है।

राष्ट्रपति कोविंद और राष्ट्रपति यू विन मिंट के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। भारतीय राष्ट्रपति ने स्टेट काउन्सलर आंग सान सू की से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक वार्ता हुई। राष्ट्रपति यू विन मिंट तथा राष्ट्रपति कोविंद ने न्यायिक और शैक्षिक सहयोग के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारत द्वारा वित्त पोषित राज्य विकास कार्यक्रम के तहत रखाइन प्रांत में बने 50 प्री-फैब्रिकेटेड घरों की पहली किश्त भी भारत ने सौंपी। दोनों पक्ष लकड़ी और वन्य जीवों की तस्करी रोकने और बाघों के संरक्षण से जुड़े समझौते को जल्द अमली जामा पहनाने पर सहमत हुए। इसके अलावा मानव तस्करी रोकने, तस्करी के शिकार लोगों की तलाश, उन्हें उनके परिजनों से पुनः जोड़ने जैसे मामलों पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते पर बातचीत भी लगभग अंतिम चरण में है।

भारत सरकार की सहायता से यिजिन कृषि विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के उन्नत केंद्र तथा चावल बायो पार्क का भी श्री कोविंद ने दौरा किया। भारतीय राष्ट्रपति ने दोनों संस्थानों को औपचारिक रूप से म्यांमार के लोगों को सौंपा। यह क्षमता निर्माण में म्यांमार की सहायता करने और सभी महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्रों में तकनीकी सहायता प्रदान करने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

दोनों देशों ने शांति, सामूहिक समृद्धि और क्षेत्र के विकास के लिए अपनी आकांक्षा की पुष्टि की। उन्होंने सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की म्यांमार यात्रा और जनवरी 2018 में म्यांमार की काउंसलर आंग सान सू की के भारत दौरे में बनी सहमति की प्रगति की समीक्षा की जिसमें यह देखा गया कि व्यापार, निवेश, संस्कृति सहित द्विपक्षीय क्षेत्र में परस्परिक आदान-प्रदान बढ़ें हैं। म्यांमार की स्वतंत्र, सक्रिय और गैर-गठबंधन की विदेश नीति तथा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और पड़ोसी सबसे पहले की सक्रिय नीतियों के चलते दोनों देशों के परस्परिक सहयोग बढ़ रहे हैं। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ हेतु द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने के लिए नए अवसरों की तलाश जारी रखने पर सहमति जताई।

म्यांमार ने घोषणा की कि वह तत्काल प्रभाव से भारतीय पासपोर्ट धारकों को आगमन पर पर्यटक वीजा प्रदान करेगा। इससे लोगों के लोगों से संबंधों को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। म्यांमार ने भारत आने वाले सभी म्यांमार नागरिकों के लिए मुफ्त वीज़ा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारत का आभार व्यक्त किया।

दोनों राष्ट्रपतियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है इसलिए इसके सभी रूपों का सामना करना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद से मुकाबले में भेद करने और संकीर्णता दिखाने से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बचने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व के देशों से कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा समग्र समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने और उसे अपनाए जाने पर गंभीरता दिखाएँ।

दोनों नेताओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि सीमा के पास रहने वाली आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित हो सकें। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पारस्परिक सम्मान को रेखांकित किया, और विद्रोही गतिविधियों से लड़ने और आतंकवाद के संकट से साझा मुक़ाबले करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों ने दोहराया कि सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिरता और सीमा के साथ रहने वाले लोगों की समृद्धि के लिए विद्रोही समूहों को दूसरी तरफ शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के लिए अपनी ज़मीन का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश के वर्तमान स्तर पर ध्यान दिया और सहमति व्यक्त की कि विभिन्न क्षेत्रों में विकास की अत्यधिक संभावना है।