पाकिस्तान पर संवाद का दायित्व

पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध एक बार फिर से अपनी गतिविधियां तेज़ कर दी हैं | ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के नेता, मिरवाइज़ उमर फ़ारुक़ के साथ पाकिस्तानी विदेश मंत्री, शाह मेहमूद क़ुरैशी की टेलिफ़ोन पर हुई बातचीत के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त, सोहेल मेहमूद को बुलावा भेजा, जो इस सच्चाई से पता चलता है |

भारत ने श्री क़ुरैशी की कार्र्वाई को खुले तौर पर भारत-विरोधी गतिविधियों को भड़काने वाला क़दम मानते हुए इसकी निंदा की है और आगाह किया है कि इस प्रकार के व्यवहार के परिणाम भुगतने होंगे | भारत की कड़ी प्रतिक्रिया दिखाती है कि पाकिस्तान की इस प्रकार की मामूली बात भी नज़रअंदाज़ कर दी जाने वाली चुनौतियों को टकराव में बदल देने की सम्भावना रखती है |

पाकिस्तान ने भी इस्लामाबाद के भारतीय उच्चायुक्त, अजय बिसारिया को बुलावा भेजा और कहा कि पाकिस्तान कश्मीरी अलगाववादियों को राजनयिक तथा राजनीतिक समर्थन देना जारी रखेगा, क्योंकि पाकिस्तान इस प्रान्त को भारत के साथ अपने विवाद का एक हिस्सा मानता है | अविचलित पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने स्थिति को और बिगाड़ते हुए सैयद अली शाह गिलानी के साथ एक और टेलिफ़ोन वार्ता की |

अमृतसर में भारतीय सीमा के निकट स्थित करतार साहिब गुरुद्वारा सिख तीर्थस्थान के लिए एक धार्मिक गलियारे के निर्माण सम्बन्धी दिल्ली के साथ एक समझौता होने के बाद अचानक पाकिस्तान का कश्मीर में ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के साथ संपर्क स्थापित करने के कारण भारत गुस्से में है | पंजाब की घरेलू राजनीति ने भी अतीत में इस धार्मिक गलियारे वाली परियोजना को प्रभावित किया था, हालांकि यह एक सकारात्मक क़दम था |

जब ब्रिटिश संसद की एक समिति ने कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की थी, तब भी भारत  ने विरोध किया था और एक साझा बयान अंगीकार किया गया | श्री क़ुरैशी ने इसे एक “महत्वपूर्ण खोज” करार दिया है | बहरहाल, ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा “एक व्यक्तिगत” यात्रा थी | वे ब्रिटिश विदेश सचिव, जेरेमी हंट या लन्दन के मेयर, सादिक़ ख़ान के साथ भी बैठक करने में सफल नहीं हो सके | वास्तव में, लन्दन ने श्री क़ुरैशी की इस यात्रा को महत्व ही नहीं दिया |

यह स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दे पर लगातार राग अलापते रहना पाकिस्तान सरकार की घरेलू राजनीति का हिस्सा है | जिस पर भारत की तत्काल प्रतिक्रिया होती है |  अमरीका के समर्थन से तालिबान समूह के साथ शुरू हुई वार्ता के रूप में अफ़ग़ानिस्तान में अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित करने सम्बन्धी पाकिस्तान की लगातार कोशिश से भी भारत अप्रसन्न है | अगर सत्ता वार्ता में तालिबान को बढ़त मिलती है, तो अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय निवेशों पर बुरा असर पड़ सकता है | नई दिल्ली इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित है | अप्रिय आदान-प्रदान संदिग्ध हैं, क्योंकि भारत में चुनाव के पूर्व के समय में भारत तथा पाकिस्तान के बीच आधिकारिक वार्ता की सम्भावना नहीं दिखती है | भारत के अन्य पडोसी नए वर्ष के आरम्भ में ही नई दिल्ली के साथ विचार-विमर्श कर चुके हैं | लेकिन यह पडोसी पूरी तरह से भिन्न है | हालांकि, कुछ प्रयास भारतीय निर्णयकर्ताओं से पाकिस्तानी नेताओं को जोड़े रखने के लिए हो रहे हैं | लेकिन इस प्रकार के प्रयासों को अंतिम रूप दिया जाना शेष है |

अब दुबई में एक बैठक आयोजित की जा रही है, जहाँ पाकिस्तान के सूचना मंत्री, फ़व्वाद चौधरी की भारत के पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अनौपचारिक बैठक होने की सम्भावना है | कुछ अन्य कार्यक्रम तथा पाकिस्तानी और भारतीय पक्षों के बीच ट्रैक II की बातचीत भी फरवरी के अंत में हो सकती है | इस बैठक में दोनों पक्षों के पूर्व राजनयिकों के भागीदारी करने की आशा की जा रही है | द्विपक्षीय तनावों पर निगरानी करने के लिए एक समानान्तर संवाद व्यवस्था पर भी इस्लामाबाद की एक विचार मंडली कार्य कर रही है |

तनावपूर्ण बातचीत की मुख्य समस्या यह है कि उच्च राजनीतिक क़ीमत पर इस वार्ता में पाकिस्तान को शामिल करने से 2019 में इस्लामाबाद के साथ एक असफल वार्ता होने का जोखिम सामान्य से अधिक है | इस प्रकार की स्थितियों में वार्ता की पटरी को बरक़रार रखना कहीं अधिक एक चुनौतीपूर्ण कार्य है | 2015 से भारतीय सरकार ने एक “व्यापक द्विपक्षीय वार्ता” शुरू करने की कोशिश की है, लेकिन पाकिस्तानी पक्ष से आतंकी हमलों तथा नियंत्रण रेखा (एलओसी)  पर बार-बार होनेवाली झड़पों के कारण यह कोशिश सफल नहीं हो सकी है | पाकिस्तान को यह समझने की आवश्यकता है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनय के गंभीर व्यापार पर इसके बहुरंगी चेहरे से अब किसी तरह के लाभ मिलने की सम्भावना कम ही है | वर्तमान स्थिति में इस्लामाबाद को अपने शब्दों तथा गतिविधियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है |

आलेख – कल्लोल भट्टाचार्य

अनुवाद/स्वर – मनोज कुमार चौधरी