भारत – सउदी संबंधों में एक नया आयाम

भारत तथा सउदी अरबिया के बीच के द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान की नई दिल्ली की यात्रा महत्वपूर्ण रही है | द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाते हुए सउदी विदेश राज्य मंत्री, अडेल अल-जुबेर ने नई दिल्ली की यात्रा की भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसारगत महीने सउदी के क्राउन प्रिन्स बिन सलमान की नई दिल्ली की यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा हुई थी उन्हीं महत्वपूर्ण मामलों  को आगे बढ़ाने के लिए सउदी मंत्री ने नई दिल्ली का आधिकारिक दौरा किया |

    श्री अल-जुबेर ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की तथा उन्होंने विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज के साथ बैठक की रुचिकर बात यह है कि इस्लामिक सहयोग संगठन की विदेश मंत्री परिषद् के सम्मलेन के पूर्ण अधिवेशन में भारत ने भागीदारी की थी, जहाँ यात्रा पर आये मंत्री ने हाल ही में अबु-धाबी में श्रीमती सुषमा स्वराज के साथ एक छोटी बैठक की थी एक सम्माननीय अतिथि” देश के रूप में इस सम्मलेन में भागीदारी करने के लिए भारत को आमंत्रित किया गया था |

       भारतीय तथा सउदी नेताओं के बीच के संबंधों में हुई वृद्धि और द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं को साकार करने की दोनों देशों की इच्छाएं प्रतीकात्मक हैं भारत तथा सउदी अरबिया सशक्त आर्थिक संबंधों को साझा करते हैं 2017-18 में दोनों देशों का वार्षिक व्यापार 27.5 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच सका है दोनों पक्ष इसे आगे बढाने की इच्छा रखते हैं तथा द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं | सउदी अरबिया भारत के पांच शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में एक है तथा विगत पांच वर्षों में भारतीय बाज़ार में यह अग्रणी विदेशी निवेशकों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया है | क्राउन प्रिंस बिन सलमान की हाल की यात्रा के दौरान रियाद ने इसका भी संकेत दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अगले पांच वर्षों में 100 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवेश करने तथा भारत में और निवेश लाने की इच्छा सउदी अरबिया रखता है | भारत के राष्ट्रीय निवेश तथा मूलभूत सरंचना कोष (एनआईआईएफ) में प्रारंभिक सउदी निवेश की संभावना पर भी चर्चा की गई |

सउदी अरबिया आतंक के विरुद्ध भारत की लड़ाई में एक अग्रणी साझेदार के रूप में उभरकर सामने आया है | नवम्बर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के एक मास्टरमाइंड फसीह मोहम्मद भागकर सउदी अरब चला गया था और पाकिस्तानी पासपोर्ट पर रियाद में रह रहा था | नई दिल्ली के निवेदन पर रियाद ने डीनए जांच के बाद उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया | “हवाला” के ज़रिये आतंकी फंडिंग नेटवर्क में ऐसे कई संलिप्त पाए गए हैं, जिनकी पहचान करके कुछ वर्षों में भारत को प्रत्यर्पित कर दिया है | दोनों देशों के बीच खुफ़िया सूचनाओं  को सहयोग के मुख्य क्षेत्र के रूप में साझा किया गया है |

हाल के वर्षों में, सउदी अरबिया तथा भारत ने निकटतम रक्षा तथा सुरक्षा संबंधों को विकसित किया है | दोनों देश सशस्त्र बलों के सभी तीन शाखाओं के बीच साझा सैन्य अभ्यास करने पर सहमत हुए हैं | प्रशिक्षण तथा साझा रक्षा विनिर्माण के आदान-प्रदान के क्षेत्र में दोनों पक्ष संबंधों को विकसित करने की आशा कर रहे हैं |

पुलवामा हमलों तथा तीव्र भारतीय प्रतिक्रिया के परिदृश्य में भारत तथा पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और गत सप्ताह श्री अल-जुबेर की हुई इस्लामाबाद यात्रा ने इन क़यासों को बढ़ाया है कि सउदी अरबिया ने भारत तथा पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की है | बहरहाल, नई दिल्ली अपने स्टैंड में स्पष्ट है कि जम्मू तथा कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है और कश्मीर का मुद्दा इसका आंतरिक मुद्दा है | भारत का कहना है कि पाकिस्तान के साथ वार्ता तब तक शुरू नहीं हो सकती है, जब तक इस्लामाबाद आतंकी समूहों को वित्त-पोषित्त करना, समर्थन देना तथा आश्रय देना रोक नहीं देता है | आगे इसका कहना है कि भारत-पाक समस्या के समाधान में किसी तीसरी पार्टी की मध्यस्थता करने का प्रश्न ही नहीं उठता हैक्योंकि सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं |

      एक क्षेत्रीय तथा इस्लामिक शक्ति के रूप में सउदी अरबिया की भूमिका की भारत प्रशंसा करता है पश्चिम तथा दक्षिण एशिया के विशाल क्षेत्रों और इसके अपने दोनों ही क्षेत्रों में आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई के प्रति सउदी अरबिया की भारत भूरि-भूरि प्रशंसा करता है भारत तथा सउदी अरबिया बिना किसी भेदभाव के सभी आतंकवादियों के विरुद्ध अपरिवर्तनीयसत्यसाधनीय तथा विश्वसनीय उपाय के लिए एक साथ काम करने” की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं जबकिविगत पांच वर्षों में द्विपक्षीय संबंध फले-फूले हैं दक्षिण एशिया में आतंक से साझे तौर पर लड़ने की वचनबद्धता भारत-सउदी के संबंधों में एक नया आयाम जोड़ती है |

आलेख – डॉ. मोहम्मद मुदस्सिर क़मर, पश्चिम एशिया मामलों के रणनीतिक विश्लेषक

अनुवाद/स्वर – मनोज कुमार चौधरी