आई.बी.एस.ए. का कायाकल्प
भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका यानि आई.बी.एस.ए. के प्रतिनिधियों की एक बैठक हाल ही में केरल के कोच्चि में हुई। इस मौके पर नवें आई.बी.एस.ए. त्रिपक्षीय मंत्री आयोग की सितम्बर 2018 में संयुक्तराष्ट्र महासभा के दरम्यान हुई बैठक के फैसलों पर आगे विचार किया गया। आई.बी.एस.ए. भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका के तौर पर दुनिया के तीन बड़े़ लोकतान्त्रिक मुल्कों और मुख्तलिफ महाद्वीपों में मौजूद अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का बेजोड़ मंच है। संयोग की बात है कि ये तीन देश अनेक दूसरे मामलों में भी एक-दूसरे के समकक्ष हैं। ये सभी विकासशील, बहुभाषी, बहुसाँस्कृतिक, बहुजातीय और बहुधर्मी देश हैं। इतनी समानताओं को देखते हुए ही जून 2003 में ब्राज़ीलिया में सम्पन्न विदेशमन्त्रियों की बैठक में आई.बी.एस.ए. की नींव रखी गई। इसी सिलसिले में हर साल 15 जून को आई.बी.एस.ए. दिवस भी मनाया जाता है। आई.बी.एस.ए. समान विचारधारा वाला एक दक्षिण-दक्षिण समूह है, जिसका लक्ष्य अपने नागरिकों और विकासशील मुल्कों की भलाई के लिए संधारणीय विकास हासिल करना है। इसके लिए संगठन में लोकतान्त्रिक, मानवीय, न्यायसम्मत और बहुलतावादी सिद्धान्तों, मूल्यों और कार्यशैली को स्वीकार किया गया है। इसके तहत सरकारों के स्तर पर सहयोग, समान हित के अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सहभागिता, आपसी हित के मामलों पर त्रिपक्षीय साझेदारी और विकासशील मुल्कों से जुडे़ विषयों में आपसी मदद की नीतियों का पालन किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर तीनों पक्ष मिलकर संयुक्त कोष के उपयोग के लिए भी तैयार रहते हैं। इस प्रकार की परस्पर सहयोगी नीतियों के चलते ही आई.बी.एस.ए. सदस्य देशों के बीच सभी स्तरों पर सहयोग का अद्वीतीय मंच बनकर उभरा है। फिलहाल संगठन के सदस्यों के बीच अनेक ग़ैर-परम्परागत क्षेत्रों में भी सराहनीय सहयोग जारी है; जिनमें कौशल विकास और विशेषज्ञों का आदान-प्रदान शामिल है। अब तक आई.बी.एस.ए. के पाँच शिखर सम्मेलनों का आयोजन हो चुका है। पाँचवें शिखर सम्मेलन का आयोजन 2011 में प्रीटोरिया में हुआ था। आई.बी.एस.ए. के छठे शिखर सम्मेलन की मेज़बानी भारत को सौंपी गई है। फिलहाल, तीनों पक्षों के प्रमुख नेताओं की सहूलियत को देखते हुए शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम तय करने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी अद्भुत संयोग है कि संगठन के तीनों सदस्यों में चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इसके समापन पर आगामी शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा सकेगा। इस बीच, आई.बी.एस.ए. के मंत्रीसमूह और कार्यसमूहों की बैठकें नियमित तौर पर जारी हैं और सभी पक्षों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्यक्रमों और गतिविधियों का संचालन विधिवत् किया जा रहा है। 2004 में संगठन की एक अहम परियोजना पर काम आरम्भ हुआ जिसे आई.बी.एस.ए. निर्धनता और भूख निवारण निधि का नाम दिया गया। इस परियोजना के तहत प्रगतिशील देशों में विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अंतर्गत अब तक 20 सहभागी देशों में स्वच्छ पेयजल, कृषि, पशुपालन, सौर ऊर्जा, अपशिष्ट-निपटान और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत क्षेत्रों में 31 कार्यक्रमों का आरम्भ किया जा चुका है। इनकी मार्फत संधारणीय विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयास किया जा रहा है। आई.बी.एस.ए. निधि को अनेक सम्मान मिल चुके हैं; जिनमें हैती और गिनिया-बासु में संचालित कार्यक्रमों के लिए 2006 का संयुक्तराष्ट्र दक्षिण-दक्षिण सहभागिता पुरस्कार, दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए 2010 का एम.जी.डी. पुरस्कार और तीनों देशों में विकास अनुभव साझा करने के लिए 2012 का दक्षिण-दक्षिण चैम्पियन्स पुरस्कार शामिल हैं। आई.बी.एस.ए. त्रिपक्षीय सहयोग का एक और उदाहरण साझा नौसैनिक अभ्यास है, जिसे आई.बी.एस.ए.-एम.ए.आर. यानि मैरीटाइम एक्सरसाइज़ का नाम दिया गया है। अब तक आई.बी.एस.ए.-एम.ए.आर. के छह चरण पूरे हो चुके हैं, जिनमें से अन्तिम अक्तूबर 2018 में दक्षिण अफ्रीका के तट पर हुआ था। कोच्चि में सम्पन्न बैठक के दौरान हालिया दौर में जारी गतिविधियों की प्रगति, आपसी सहयोग गहराने, पर्यटन विकास और दक्षिण-दक्षिण सहयोग विस्तार के उपायों पर चर्चा की गई। प्रतिनिधियों यानि शेरपाओं ने संयुक्त कार्यसमूहों की प्रगति की समीक्षा की। प्रतिनिधियों ने पिछले साल आई.बी.एस.ए. की 15वीं सालगिरह के आयोजनों पर सन्तोष ज़ाहिर किया। जनवरी 2019 में नई दिल्ली में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पहले ‘गाँधी-मण्डेला स्मारक स्वाधीनता भाषण’ के आयोजन की तारीफ करते हुए सदस्यों ने इसे आगे भी जारी रखने की अनुशंसा की। इसके अलावा भी आपसी सहयोग विस्तार के नए क्षेत्रों की तलाश पर भी विचार-विमर्श किया गया। अनुवाद और वाचन - डॉ. श्रुतिकान्त पाण्डेय [audiopalyer file ="http://airworldservice.org/hindi-commentary/Hindi--Sam-Varta-11-May-19.mp3"]