भारत-अमरीका द्विपक्षीय संबंधों में समरसता

नरेन्द्र मोदी सरकार की दूसरी पारी शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर ही ट्रम्प प्रशासन द्वारा सामान्य वरियता व्यस्था के अंतर्गत भारत को दिए गए लाभों को वापिस लेने और अमरीका द्वारा भारत से मंगाए जाने वाले 28 उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने का फ़ैसला सुर्ख़ियों में रहा है। लेकिन फिर भी अगर दोनों देशों की सामरिक साझेदारी की बात की जाए तो अभी भी दोनों पक्षों के बीच समरसता है। जापान के ओसाका में होने वाले जी-बीस सम्मेलन के कुछ समय पहले ही अमरीका के विदेश सचिव माइकल आर पोम्पिओ 25 और 26 जून 2019 को भारत की यात्रा पर होंगे।

भारत में हुए चुनाव के बाद अमरीका के साथ भारत की ये पहली उच्च स्तरीय सक्रियता होगी। अपनी यात्रा के दौरान वे विदेश मंत्री के साथ वार्ता करेंगे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भारत सरकार के अन्य विशिष्ट मंत्रियों से मुलाक़ात करेंगे। श्री पोम्पियो की यात्रा भारत और अमरीका के लिए सामरिक साझेदारी मज़बूत करने के अवसर तलाशने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर होगी और साथ ही ये द्विपक्षीय, सामरिक और वैश्विक मुद्दों समेत परस्पर हितों के मामलों पर उच्च स्तरीय सक्रियता बनाए रखने का भी अवसर होगा।

अमरीका के विदेश सचिव ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को उन की नियुक्ति पर बधाई दी थी। अमरीका के विदेश मंत्रालय के एक वक्तव्य में कहा गया था कि सचिव पोम्पियो ने रेखांकित किया है कि अमरीका नई भारत सरकार के साथ सामरिक साझेदारी प्रगाढ़ करने के लिए निकट सहयोग के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि सचिव पोम्पियो और भारत के विदेश मंत्री मुक्त और खुले हिन्द प्रशांत की रक्षा करने, आर्थिक साझेदारी और द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग के साझे लक्ष्यों के बारे में विचार-विमर्श करेंगे।

श्री पोम्पिओ ने नई दिल्ली आने से पहले फ़ोन वार्ता की। वे ओसाका में होने वाले जी-बीस सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बीच होने वाली मुलाक़ात की तैयारियों के लिए भारत आना चाहते हैं। उम्मीद की जा रही है कि श्री मोदी और श्री ट्रम्प हिन्द-प्रशांत सामरिक नीति पर विचार-विमर्श करने के लिए भारत-अमरीका और जापान की त्रिपक्षीय बैठक हेतु जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे से मुलाक़ात कर सकते हैं।

भारत के दृष्टिकोण में भारत और अमरीका के द्विपक्षीय संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बीते वर्षों में दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार बढ़कर लगभग 150 अरब डॉलर हो गया है और इस संदर्भ में किसी भी तरह की परेशानी को नई दिल्ली और वाशिंगटन के हितों को ध्यान में रखते हुए सुलझाया जाना चाहिए। इस पर भी ध्यान देना चाहिए कि अमरीका ने आधिकारिक तौर पर एच1बी वीज़ा के बारे में अपनी किसी योजना के बारे में सूचित नहीं किया है। ये सूचना प्रौद्योगिकी जैसे उच्च प्रशिक्षण प्राप्त विदेशियों को दिया जाने वाला व्यावसायिक अमरीकी वीज़ा है।

ट्रम्प-मोदी द्विपक्षीय वार्ता के दौरान ईरान प्रतिबंधों पर भी विचार किया जा सकता है और श्री पोम्पिओ की नई दिल्ली यात्रा के समय भी भारत की ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताओं के बारे में विचार किया जाएगा।

श्री पोम्पिओ और श्री जयशंकर भावी सक्रियता के संदर्भ में भी विचार-विमर्श करेंगे। दोनों सरकारें इस साल सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भी श्री ट्रम्प और श्री मोदी के बीच हो सकने वाली मुलाक़ात की संभावना पर विचार कर रही हैं। इसी समय विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 2 जमा 2 वार्षिक सम्मेलन के लिए वाशिंगटन जाने वाले हैं। भारत आने वाले समय में अमरीका के राष्ट्रपति की भी नई दिल्ली यात्रा की उम्मीद कर रहा है।

भारत में चीन की दूरसंचार कम्पनी हुवाई की 5जी सहभागिता के बारे में अमरीका की चिंता के संदर्भ में भारत सरकार का विचार है कि अभी इस बारे में आंतरिक स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है और आर्थिक तथा सुरक्षा पहलुओं पर ध्यान देते हुए इस प्रकार के विचार-विमर्श जल्द सम्पन्न नहीं होते हैं। भारत को इस बारे में गहन विचार करना होगा और सुरक्षा तथा आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सही समय पर ही कोई फ़ैसला किया जाएगा।

आँकड़े स्थानीकरण, सीमा-पार ई-वाणिज्य और बौद्धिक सम्पदा अधिकार जैसे बड़े मुद्दों के बारे में वार्ता की जा सकती है। दोनों पक्ष ये समझते हैं कि मज़बूत द्विपक्षीय संबंध मेहनत से स्थापित किए गए हैं और समय-समय पर सामने आने वाली परेशानियाँ सौहार्दपूर्ण संबंधों को ख़राब नहीं कर सकतीं। मोदी सरकार के दूसरी बार कार्यभार संभालने के तुरंत बाद अमरीका के विदेश सचिव की भारत यात्रा वाशिंगटन के भारत के साथ विशेष संबंधों को रेखांकित करती है। दो बड़े लोकतांत्रिक देश 21वीं सदी में स्थायी वैश्विक साझेदारी तैयार कर रहे हैं।

आलेख- सत्यजीत मोहंती, वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक, आईईएस

अनुवाद- नीलम मलकानिया