गहराते भारत और यूरोपीय संघ संबंध


भारत और युरोप के संबंध बहुलवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित रहे हैं। महत्वाकांक्षी आबादी का बढ़ता आर्थिक सामंजस्य दुनिया में सर्वाधिक मज़बूत साझेदारी सामने ला सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अप्रैल 2018 में उत्तरी युरोप के देशों के पहले सम्मेलन में शामिल होना इस का प्रमाण है। श्री…

रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भारत की बांग्लादेश को मदद


बांग्लादेश इन दिनों आम चुनाव के दौर से गुजर रहा है। देश में 30 दिसम्बर को 350 सदस्यों वाली विधायिका यानि ‘जातीय संसद’ के लिए चुनाव होने हैं। इन चुनावों में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा काफी अहम है। भारत इस मामले के समाधान में बांग्लादेश की हर सम्भव मदद करता…

अफ़्ग़ानिस्तान से अमरीका की वापसी -दक्षिण एशिया में इसका असर


अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा अफ़्ग़ानिस्तान से अमरीका के आधे गुटों की वापसी की घोषणा काबूल सरकार के लिए एक कड़े झटके की तरह सामने आई है। अगस्त 2017 में अपनी दक्षिण एशिया नीति की घोषणा करते हुए श्री ट्रम्प ने टिप्पणी की थी कि वे अफ़्ग़ानिस्तान में अमरीकी…

भारत और चीन द्विपक्षीय सम्बन्धों के लिए सामाजिक आधार तैयार करेंगे


चीनी विदेशमंत्री वेंग यी वुहान संकल्प को मज़बूती देने के इरादे से भारत यात्रा पर आए हुए हैं। पिछले साल अप्रैल में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी ज़िन्पिंग के बीच वुहान में अनौपचारिक बातचीत हुई थी। वेंग यी की इस यात्रा से दोनों पक्षों के दरम्यान कूटनीतिक…

जीसैट-7ए भारत की ताक़त को कई गुणा बढ़ाएगा


आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-7ए (GSAT-7A) का सफल प्रक्षेपण किया गया। इसने भारतीय वायु सेना की ताकत में अंतरिक्ष आधारित एक नया आयाम जोड़ा है। ये उपग्रह भारतीय वायु सेना के जहाज़, एयर-बोर्न पूर्व चेतावनी नियंत्रण प्लेटफॉर्म, ड्रॉन, ग्राउंड स्टेशनों और इमारतों सहित तमाम संपत्तियों को एक…

भारत और नेपाल तीर्थस्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देंगे


भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष नेपाल का आधिकारिक दौरा किया। उनकी इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के अलावा, द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। दोनों देशों ने धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत बनाने…

हिन्द महासागर में सहयोग की राह पर श्रीलंका


राष्ट्रपति श्रीसेना द्वारा रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के बाद श्रीलंका में जारी राजनीतिक घमासान थम गया है। इसके बाद नए मंत्रिमंडल का गठन भी कर दिया गया है। उम्मीद है कि इन कदमों से देश में अगले आम चुनावों तक संवैधानिक स्थिरता कायम रह पाएगी। 26 अक्तूबर को राष्ट्रपति श्रीसेना ने विक्रमसिंघे को अपदस्थ करके चुनाव हार चुके पूर्व राष्ट्रपति महिन्द राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। लेकिन यूनाइटेड नेशनल पार्टी यानि यू.एन.पी. और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता दिखाते हुए जनता की आवाज़ को दबने नहीं दिया। श्रीसेना और राजपक्षे की मनमानी रोकने में श्रीलंकाई सर्वोच्च न्यायालय ने भी अहम भूमिका निभाई। त्यागपत्र देने के बाद राजपक्षे ने चुनावों की मार्फत फिर से सत्ता में आने की बात कही। उनकी श्रीलंकन पीपल्स पार्टी ने स्थानीय चुनावों में बहुमत हासिल किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यू.एन.पी. ने सत्ता में बने रहने के लिए तमिल नेशनल अलायंस की शर्तों का आँख मूँदकर पालन किया है।   श्रीलंका में जारी राजनीतिक घटनाक्रम से साफ है कि देश में सियासी उठापटक आगामी चुनावों तक जारी रह सकती है। इससे हिन्द महासागर के बारे में कोलंबो की नीति की स्थिरता पर भी सन्देह होना स्वाभाविक है। हालांकि, रानिल विक्रमसिंघे और मैत्रिपाल श्रीसेना ने क्षेत्र के कूटनीतिक समीकरणों में सन्तुलन के लिए अनेक प्रयास किए हैं और उनके त्वरित अनुपालन की मंशा भी दर्शाई है। श्रीलंका 2015 से ही हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी अहमियत स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए कोलंबो ने अनेक नीतियाँ बनाईं और पड़ौसी देशों से सामंजस्य स्थापित किया है। इन नीतियों का उल्लेख विक्रमसिंघे की आर्थिक घोषणाओं में किया गया है। हिन्द महासागर क्षेत्र के विकास के लिए श्रीलंका ने 2018 के दौरान ‘गैली’ और ‘ट्रैक 1.5 डायलॉग’ जैसी परिचर्चाओं का आयोजन किया, जिनमें चालीस देशों ने भाग लिया। इन परिचर्चाओं में भारत ने भी गर्मजोशी से हिस्सेदारी की। इन सम्मेलनों में कोलंबो ने इस क्षेत्र में नौवहन और डिजिटल कनेक्टिविटी की स्वतंत्रता पर बल दिया, ताकि सभी सहभागियों की समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही हिन्द महासागर में शान्ति और सुरक्षा के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण श्रीलंका इस क्षेत्र में केन्द्रीय भूमिका निभाने में सक्षम है। तीस वर्षों के जातीय संघर्ष के चलते श्रीलंका इस क्षेत्र में वाजिब भूमिका से महरूम रहा है। इन दिनों वह एशिया में अपनी नई पहचान स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है। जापान, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘क्वाड’  बनाकर वह एशिया प्रशान्त में सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। हाल के दिनों में बन्दरगाह और मूलाधार निर्माण के मामले में चीन सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। यही वजह है कि श्रीलंका ने अपना हम्बनटोटा बन्दरगाह 99 वर्षों की लीज़ पर चीन को दे दिया है। इससे पता लगता है कि वह उभरती ताकतों के साथ शक्ति सन्तुलन की नीति पर चल रहा है। श्रीलंका हिन्द महासागर में नौवहन को सुरक्षित बनाने के लिए प्रयत्नशील है और इसके लिए भारत के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहता है। भारत और श्रीलंका का मानना है कि हिन्द महासागर में शान्ति और सुरक्षा के लिए आपसी सहभागिता ज़रूरी है। ऐसा न होने से ही लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम यानि लिट्टे जैसे संगठनों का उदय होता है। इसलिए दोनों देशों को सभी मौजूदा संसाधनों का इस्तेमाल करके क्षेत्रीय और सामुद्रिक सुरक्षा मज़बूत करनी चाहिए। इसके लिए भारत-मालदीव-श्रीलंका गठजोड़, हिन्द महासागर रिम संगठन और बंगाल की खाड़ी में बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक विकास संगठन यानि बिम्सटैक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संस्थाओं के माध्यम से हिन्द महासागर में सुरक्षा स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ सालों में भारत और श्रीलंका ने सभी स्तरों पर सहयोग बढ़ाने के लिए उत्साहजनक प्रयास किए हैं। श्रीलंका ने भारत को आश्वस्त किया है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की चिन्ताओं को समझता है और इसके लिए हर तरह के सहयोग के लिए तैयार है। आलेख -  डॉ. एम. सामंथा, हिन्द महासागर संबंधी मामलों के कूटनीतिक विश्लेषक। अनुवाद और वाचन - डॉ. श्रुतिकान्त पाण्डेय

बदलते परिदृश्य में भारत दक्षिण कोरिया के सम्बन्ध


एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल के साथ दक्षिण कोरिया की विदेश मंत्री, कंग क्यूंग-व्हा दो दिवसीय भारत यात्रा पर थीं | इस यात्रा का मुख्य एजेंडा 9वीं भारत कोरिया साझा आयोग बैठक था | यह बैठक कंग क्यूंग-व्हा तथा विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज के बीच हुई | सुश्री कंग क्यूंग-व्हा की…

मालदीव के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से पारंपरिक दोस्ती में आएगी नई ऊर्जा


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहीम सोलीह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर अपनी पहली राजकीय यात्रा पर भारत आए। उनका यह दौरा राष्ट्रपति पद संभालने के महज़ एक महीने के भीतर हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे दोनों देशों के पारस्परिक रिश्तों में एक नए युग का सूत्रपात…

ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए बनी नियमावली


पोलैंड के कातोवित्स में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सम्पन्न हो गया है। जिसमें दो सप्ताह के गहन विचार मंथन और राजनीतिक विरोधों-प्रतिरोधों के बीच आखिरकार पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के लिए नियमावली पर सहमति बन गई है। 2015 में हुए ऐतिहासिक पेरिस समझौते का लक्ष्य बढ़ते वैश्विक तापमान…