तीनों कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक जनसत्ता समेत सभी अखबारों की प्रमुख खबर है। नवभारत टाइम्स की सुर्खी है- कानून रूका, समिति बनी फिर भी किसान नहीं माने।
अमर उजाला ने सर्वे संतु निरामया: शीर्षक से लिखा है- देश के विभिन्न शहरों में पहुंची कोविड टीके की पहली खेप। जनसत्ता ने बताया है- टीके पहुंचाने में जुटी वायुसेना और विमानन कंपनियां। पूजा करने के बाद रवाना की गई टीकों की खेप। राजस्थान पत्रिका ने लिखा है- सरकार ने कहा- टीका बहुत कारगर, नहीं होना चाहिए शक।
दैनिक भास्किर की खबर है- चीन ने कोरोना की दूसरी लहर के खतरे की आशंका के मद्देनजर कल 50 लाख की आबादी वाले शहर लैंगफेंग में कड़ा लॉकडाउन लगाया। हाल ही में हेबई प्रांत के एक बड़े शहर में भी लगाया था लॉकडाउन।
चीन और पाकिस्तान की सांठगांठ वास्तविक खतरा- सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के इस बयान को दैनिक जागरण सहित सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। राष्ट्रीय सहारा सेना प्रमुख के हवाले से लिखता है- भारतीय फौज चीन, पाकिस्तान से एक साथ निपटने में सक्षम। हिन्दुस्तान की खबर है- वायुसेना और नौसेना के बाद अब थलसेना में भी महिलाएं पायलट बनेंगी।
राष्ट्रीय सहारा के आर्थिक पन्नेी की खबर है- इस साल ज्यादा लोगों ने दाखिल किया रिटर्न। इनमें कंपनियों और अन्य कारोबारी इकाईयों की संख्या ज्यादा।
दैनिक भास्केर की सुर्खी है- आयकर विभाग की वेबसाइट पर बेनामी संपत्ति की शिकायत के लिए ई पोर्टल शुरू, कोई भी व्यक्ति टैक्स चोरी या विदेश में अघोषित संपत्ति से जुड़ी शिकायत ऑनलाइन कर सकता है।
अमर उजाला ने अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के खिलाफ संसद के निचले सदन में महाभियोग पर आज मतदान होने की खबर दी है।
दैनिक जागरण ने बताया है कि आई आई टी कानपुर के विशेषज्ञ ने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है,जिससे पांच से पन्द्रह मिनट के भीतर पता चल जाएगा कि बच्चा ऑटिजम से पीडि़त है या नहीं।
जनसत्ता ‘चौकसी की सीमा’ शीर्षक से अपने संपादकीय में लिखता है कि पिछले कई दशकों का इतिहास यह बताने के लिए काफी है कि सीमा पर बेवजह तनाव की स्थिति बनाए रखना शायद पाकिस्तान की फितरत में शामिल हो चुका है। हालांकि हर ऐसे मौके पर जब भारत की और से उसे मुंहतोड़ जवाब मिलता है तब वह अगले कुछ समय के लिए शांत हो जाता है और विश्व समुदाय के सामने खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता है।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से चीन की और से भी सीमा पर जिस तरह की बाधाएं खड़ी की जा रही हैं, वह भारत के लिए ज्यादा गंभीर चुनौती है। सही है कि भारत इस तरह के किसी बड़े संकट का भी आसानी से सामना करने के लिए तैयार है और अमूमन हर मौके पर इसने साबित भी किया है, मगर ऐसी परिस्थितियों में अनावश्यक होने वाली उथल पुथल और परेशानी में ऊर्जा बर्बाद होती है।
दरसल, पिछले कुछ समय से सीमा पर पाकिस्तान के साथ–साथ चीन ने भी जिस तरह के हालत पैदा कर रखे हैं, उसका कोई वाजिब कारण नहीं है। बल्कि प्रथम दृष्ट्या ही इसके पीछे भारत के प्रति उनका कपट से भरा हुआ बर्ताव दिखता है जिसके जरिए वे अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
यों अपने कपट और दुराग्रहपूर्ण रवैये के बावजूद उन्हें अब तक इस बात का अंदाज़ा हो गया होगा,कि भारत की ताकत के बारे में उनका अंदाज़ा किस खोखली बुनियाद पर आधारित है और ठीक समय पर मोर्चे पर उन्हें कैसे चुनौती देखने को मिलती है। इसलिए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने यह ठीक कहा है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं।
उनके कपटपूर्ण सोच से होने वाले खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता, मगर भारतीय सैनिक भी किसी भी स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए बहुत उच्च स्तर की लड़ाकू तैयारी के साथ मोर्चे पर हैं। इसके समांतर यह उम्मीद भी कूटनीति के लिहाज से समय के अनुकूल है कि भारत और चीन परस्पर और समान सुरक्षा के आधार पर सैनिकों की वापसी और तनाव काम करने के लिए एक समझौते पर पहुंच पाएंगे।
गौरतलब है की पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर स्थित कुछ रणनीतिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर कब्ज़े को लेकर उठे विवाद के बीच सेना ने साफ़ कर दिया है कि वे देश के हितों और लक्ष्यों के अनुरूप पूर्वी लद्दाख में स्थिति कायम रखेगी। दूसरी ओर, पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर अक्सर ऐसे हालात पैदा होते रहते हैं, यह जगज़ाहिर रहा है। ख़ासतौर पर पाकिस्तान स्थित ठिकानों से संचालित आतंकवाद को अघोषित तौर पर राजकीय नीति के एक औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।
इसके आलावा यह भी ध्यान रखने की ज़रूरत होगी कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य और असैन्य क्षेत्रों में सहयोग बड़ रहा है। पिछले कई दशकों का इतिहास बताता है कि पड़ोस के ये दोनों देश आमतौर पर विश्वास का माहौल बनाने की बजाय किसी नाज़ुक मौके पर धोखे और कपट का सहारा लेते हैं। यानी भारत को ‘दो मोर्चों’ पर लगातार बने खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
तीनों कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक जनसत्ता समेत सभी अखबारों की प्रमुख खबर है। नवभारत टाइम्स की सुर्खी है- कानून रूका, समिति बनी फिर भी किसान नहीं माने।
अमर उजाला ने सर्वे संतु निरामया: शीर्षक से लिखा है- देश के विभिन्न शहरों में पहुंची कोविड टीके की पहली खेप। जनसत्ता ने बताया है- टीके पहुंचाने में जुटी वायुसेना और विमानन कंपनियां। पूजा करने के बाद रवाना की गई टीकों की खेप। राजस्थान पत्रिका ने लिखा है- सरकार ने कहा- टीका बहुत कारगर, नहीं होना चाहिए शक।
दैनिक भास्किर की खबर है- चीन ने कोरोना की दूसरी लहर के खतरे की आशंका के मद्देनजर कल 50 लाख की आबादी वाले शहर लैंगफेंग में कड़ा लॉकडाउन लगाया। हाल ही में हेबई प्रांत के एक बड़े शहर में भी लगाया था लॉकडाउन।
चीन और पाकिस्तान की सांठगांठ वास्तविक खतरा- सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के इस बयान को दैनिक जागरण सहित सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है। राष्ट्रीय सहारा सेना प्रमुख के हवाले से लिखता है- भारतीय फौज चीन, पाकिस्तान से एक साथ निपटने में सक्षम। हिन्दुस्तान की खबर है- वायुसेना और नौसेना के बाद अब थलसेना में भी महिलाएं पायलट बनेंगी।
राष्ट्रीय सहारा के आर्थिक पन्नेी की खबर है- इस साल ज्यादा लोगों ने दाखिल किया रिटर्न। इनमें कंपनियों और अन्य कारोबारी इकाईयों की संख्या ज्यादा।
दैनिक भास्केर की सुर्खी है- आयकर विभाग की वेबसाइट पर बेनामी संपत्ति की शिकायत के लिए ई पोर्टल शुरू, कोई भी व्यक्ति टैक्स चोरी या विदेश में अघोषित संपत्ति से जुड़ी शिकायत ऑनलाइन कर सकता है।
अमर उजाला ने अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के खिलाफ संसद के निचले सदन में महाभियोग पर आज मतदान होने की खबर दी है।
दैनिक जागरण ने बताया है कि आई आई टी कानपुर के विशेषज्ञ ने ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है,जिससे पांच से पन्द्रह मिनट के भीतर पता चल जाएगा कि बच्चा ऑटिजम से पीडि़त है या नहीं।
जनसत्ता ‘चौकसी की सीमा’ शीर्षक से अपने संपादकीय में लिखता है कि पिछले कई दशकों का इतिहास यह बताने के लिए काफी है कि सीमा पर बेवजह तनाव की स्थिति बनाए रखना शायद पाकिस्तान की फितरत में शामिल हो चुका है। हालांकि हर ऐसे मौके पर जब भारत की और से उसे मुंहतोड़ जवाब मिलता है तब वह अगले कुछ समय के लिए शांत हो जाता है और विश्व समुदाय के सामने खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता है।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से चीन की और से भी सीमा पर जिस तरह की बाधाएं खड़ी की जा रही हैं, वह भारत के लिए ज्यादा गंभीर चुनौती है। सही है कि भारत इस तरह के किसी बड़े संकट का भी आसानी से सामना करने के लिए तैयार है और अमूमन हर मौके पर इसने साबित भी किया है, मगर ऐसी परिस्थितियों में अनावश्यक होने वाली उथल पुथल और परेशानी में ऊर्जा बर्बाद होती है।
दरसल, पिछले कुछ समय से सीमा पर पाकिस्तान के साथ–साथ चीन ने भी जिस तरह के हालत पैदा कर रखे हैं, उसका कोई वाजिब कारण नहीं है। बल्कि प्रथम दृष्ट्या ही इसके पीछे भारत के प्रति उनका कपट से भरा हुआ बर्ताव दिखता है जिसके जरिए वे अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
यों अपने कपट और दुराग्रहपूर्ण रवैये के बावजूद उन्हें अब तक इस बात का अंदाज़ा हो गया होगा,कि भारत की ताकत के बारे में उनका अंदाज़ा किस खोखली बुनियाद पर आधारित है और ठीक समय पर मोर्चे पर उन्हें कैसे चुनौती देखने को मिलती है। इसलिए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने यह ठीक कहा है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं।
उनके कपटपूर्ण सोच से होने वाले खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता, मगर भारतीय सैनिक भी किसी भी स्थिति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए बहुत उच्च स्तर की लड़ाकू तैयारी के साथ मोर्चे पर हैं। इसके समांतर यह उम्मीद भी कूटनीति के लिहाज से समय के अनुकूल है कि भारत और चीन परस्पर और समान सुरक्षा के आधार पर सैनिकों की वापसी और तनाव काम करने के लिए एक समझौते पर पहुंच पाएंगे।
गौरतलब है की पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर स्थित कुछ रणनीतिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर कब्ज़े को लेकर उठे विवाद के बीच सेना ने साफ़ कर दिया है कि वे देश के हितों और लक्ष्यों के अनुरूप पूर्वी लद्दाख में स्थिति कायम रखेगी। दूसरी ओर, पाकिस्तान के साथ लगी सीमा पर अक्सर ऐसे हालात पैदा होते रहते हैं, यह जगज़ाहिर रहा है। ख़ासतौर पर पाकिस्तान स्थित ठिकानों से संचालित आतंकवाद को अघोषित तौर पर राजकीय नीति के एक औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है।
इसके आलावा यह भी ध्यान रखने की ज़रूरत होगी कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य और असैन्य क्षेत्रों में सहयोग बड़ रहा है। पिछले कई दशकों का इतिहास बताता है कि पड़ोस के ये दोनों देश आमतौर पर विश्वास का माहौल बनाने की बजाय किसी नाज़ुक मौके पर धोखे और कपट का सहारा लेते हैं। यानी भारत को ‘दो मोर्चों’ पर लगातार बने खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।